शिव-शक्ति के दिव्य मिलन का पर्व महाशिवरात्रि आज मनाया जा रहा है। आज श्रद्धालु शिवालयों में भगवान भोलनाथ का जलाभिषेक कर आक-धतूरे, पुष्प,फल, बील पत्र आदि अर्पित कर रहे है। जय बम भोले, जय शिव शंकर और हर-हर महादेव के जयकारों से मंदिर गूज रहा है।
मान्यता के अनुसार, आज ही के दिन देवो के देव भोले शंकर का पार्वती के साथ विवाह हुआ था। इस दिन के पौराणिक काल से ही महाशिवरात्रि के रूप में मनाने की पंरपरा है। मान्यता है कि आज के दिन सच्चा मन से भोले भंडारी की पूजा अर्चना करने से सभी मन्नत पूरी होती है। धर्मनगरी हरिद्वार में महाशिवरात्रि की धूम है।
शिव रात्रि को लेकर सबसे ज्यादा चहल-पहल शिव की ससुराल कनखल में है। कनखल में शिव मंदिरों के दुल्हन की तरह सजाया गया है।
शिवजी को सभी देवताओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इनकी आराधना सभी प्रकार की फलों को प्रदान करती है। महादेव को कई नामों से जाना जाता है जैसे भोलेनाथ, नीलकंठ, उमापति, भोलेनाथ, दीनानाथ, शंकर आदि। शिवरात्रि पर इनकी पूजा-अर्चना से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। यदि आप भी शिवरात्रि पर धर्म लाभ और पुण्य लाभ अर्जित करना चाहते हैं और किसी बड़े मंदिर या तीर्थ जाने का समय नहीं है तो अपने नजदीक किसी भी शिव मंदिर में पूजा करें। निश्चित ही इस पूजा से भी भगवान महादेव की कृपा अवश्य प्राप्त होगी।
शिवजी को भोलेनाथ कहा जाता है क्योंकि वे बहुत ही भोले हैं और अपने भक्तों के भावों से ही प्रसन्न हो जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति धन की कमी या समय की कमी के कारण महादेव के किसी तीर्थ पर जाने में अक्षम हैं तो वे सुविधानुसार किसी भी मंदिर में शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं।
ऐसा माना जाता है कि कण-कण में शिवजी विराजमान हैं। इसी वजह से शिवजी सभी मंदिरों में विराजमान हैं। इस शिवरात्रि यदि आपके पास पर्याप्त समय और धन है तो आप महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग में से किसी भी ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं। ज्योतिर्लिंग की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है, शास्त्रों के अनुसार इन 12 स्थानों पर भोलेनाथ साक्षात विद्यमान हैं और भक्तों की मनोकामनाएं तुरंत ही पूरी करते हैं। साथ ही शिवरात्रि पर माता पार्वती के पूजन का भी विशेष महत्व है। माता पार्वती की पूजा के लिए देशभर में 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं। इन 51 शक्तिपीठ की पूजा का विशेष महत्व है। शिवरात्रि पर किसी भी शक्तिपीठ के भी दर्शन और पूजा करनी चाहिए।
मान्यता के अनुसार, आज ही के दिन देवो के देव भोले शंकर का पार्वती के साथ विवाह हुआ था। इस दिन के पौराणिक काल से ही महाशिवरात्रि के रूप में मनाने की पंरपरा है। मान्यता है कि आज के दिन सच्चा मन से भोले भंडारी की पूजा अर्चना करने से सभी मन्नत पूरी होती है। धर्मनगरी हरिद्वार में महाशिवरात्रि की धूम है।
शिव रात्रि को लेकर सबसे ज्यादा चहल-पहल शिव की ससुराल कनखल में है। कनखल में शिव मंदिरों के दुल्हन की तरह सजाया गया है।
शिवजी को सभी देवताओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इनकी आराधना सभी प्रकार की फलों को प्रदान करती है। महादेव को कई नामों से जाना जाता है जैसे भोलेनाथ, नीलकंठ, उमापति, भोलेनाथ, दीनानाथ, शंकर आदि। शिवरात्रि पर इनकी पूजा-अर्चना से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। यदि आप भी शिवरात्रि पर धर्म लाभ और पुण्य लाभ अर्जित करना चाहते हैं और किसी बड़े मंदिर या तीर्थ जाने का समय नहीं है तो अपने नजदीक किसी भी शिव मंदिर में पूजा करें। निश्चित ही इस पूजा से भी भगवान महादेव की कृपा अवश्य प्राप्त होगी।
शिवजी को भोलेनाथ कहा जाता है क्योंकि वे बहुत ही भोले हैं और अपने भक्तों के भावों से ही प्रसन्न हो जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति धन की कमी या समय की कमी के कारण महादेव के किसी तीर्थ पर जाने में अक्षम हैं तो वे सुविधानुसार किसी भी मंदिर में शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं।
ऐसा माना जाता है कि कण-कण में शिवजी विराजमान हैं। इसी वजह से शिवजी सभी मंदिरों में विराजमान हैं। इस शिवरात्रि यदि आपके पास पर्याप्त समय और धन है तो आप महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग में से किसी भी ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं। ज्योतिर्लिंग की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है, शास्त्रों के अनुसार इन 12 स्थानों पर भोलेनाथ साक्षात विद्यमान हैं और भक्तों की मनोकामनाएं तुरंत ही पूरी करते हैं। साथ ही शिवरात्रि पर माता पार्वती के पूजन का भी विशेष महत्व है। माता पार्वती की पूजा के लिए देशभर में 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं। इन 51 शक्तिपीठ की पूजा का विशेष महत्व है। शिवरात्रि पर किसी भी शक्तिपीठ के भी दर्शन और पूजा करनी चाहिए।
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