थी मैं परेशान, ख्वाब जो बिखरते जा रहे थे
हुआ सामना फिर हकीकत से ..
उसने कहा मुझसे, थे तेरे ख्वाब बहुत छोटे इसलिए बिखर गये
हैं तेरी किस्मत में जन्नत के ख्वाब
हूँ मैं इंतजार में, बड़े ख्वाब मांगेगी कब तू मुझसे
अब ख्वाब के बिखरने या टूटने पर मैं टूटती नहीं
क्यूंकि हैं यकीन मुझे हकीकत की सच्चाई पे
जो छिपी बैठी है कहीं
आखिर कब तक आँख मिचौली खेलेगी हकीकत की सच्चाई मुझसे...
दीपिका
बेहद खूबसूरत रचना |
ReplyDeleteBhut khub madam ji
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