Friday, August 30

मम्मी-पापा की वेडिंग


प्लेन रोटी 4 रूपए, बटर रोटी 6 रूपए नहीं नहीं नहीं ...पार्टी में मेहमानों को रोटी परोसते हुए अच्छा नहीं लगेगा इसलिए मैंने रोटी से नान की तरफ जाना बेहतर समझा. लेकिन मैं एक दुविधा में थी नान मेरे बजट से कही ज्यादा था. प्लेन नान था 12 रूपए और बटर नान 22 रूपए अब भला मैं मेहमानों को बिना बटर का नान कैसे खिला सकती थी. चलो बटर नान तक तो बात सही थी पर पनीर वो भी शाही, उसके लिए मैं तैयार नहीं थी. इस वजह से अपने छोटे बेहेन भाइयों से बहुत देर तक बहस चलती रही. उस दिन सबसे ज्यादा अफ़सोस हुआ. काश मुझे स्वादिष्ट खाना बनाना आता तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता. पनीर 200 रूपए किलो, प्याज 80 रूपए किलो ऊपर से टमाटर मसालों की आफ़त अलग से. हम सब की पॉकेट मनी कम पड़ रही थी.
दरअसल उस दिन हमारे प्यारे मम्मी पापा की पच्चीसवीं वेडिंग एनिवर्सरी थी. और हम चार बेहेन भाई मिल कर एक सरप्राइज पार्टी करने वाले थे. एनिवर्सरी पार्टी की तैयारियों में हम काफी दिनों से जुटे थे. इसलिए भाई को बार बार मेनू के प्राइज देखने के लिए भेजा जा रहा था. पार्टी का सारा खाना खुद बनाए या बाहरसे आर्डर करे ये तय करने में हमे पूरे दो दिन लगे. भाई और छोटी सिस्टर ज़िद करने लगे की हम एक फोटोग्राफर भी बुक कर रहे है काफी मशक्कत के बाद मैंने सबको मना लिया कि कोई फोटोग्राफर नहीं आएगा. मैंने कहा- मेरी प्रतिभा उर्फ़ टैलेंट से तुम सब वाकिफ़ नहीं हो. मैं एक अच्छी फोटोग्राफर हूँ आखिर कॉलेज में मैंने भले कुछ सिखा हो या ना सिखा हो कम से कम फोटोग्राफी तो मैंने सीख ही ली हैऔर रही बात कैमरे की तो वो मैं अपने किसी फ्रेंड से ले लूंगी. इसलिए वेडिंग एनिवर्सरी में फोटोग्राफी की जिम्मेदारी मेरी थी. अब भी बजट हाथ से निकले जा रहा था शाही पनीर, नान, छोले-चावल, गाज़र का हलवा, रायता और एक मिक्स सब्जी का मेनू तय करने के बाद हम डेजर्ट पर पहुंचे. डेजर्ट में एक वनिला आइसक्रीम और बटर स्कॉच आइसक्रीम के अलावा काले- सफ़ेद रसगुल्ले भी थे. मेनू के आइटम जैसे जैसे बढ़ते जा रहे थे हमारे दिलों की धड़कन और बजट का रायता दोनों फैलते जा रहे थे. कैसे होगा सब. हम मम्मी पापा को पच्चीसवीं सालगिरह पर एक्सपेंसिव गिफ्ट्स भी देने वाले थे. मेरे दिमाग़ ने अपने घोड़े दौडाये और मुझे जबरदस्त आईडिया आया. हमारी छोटी चाची किस दिन काम आयेंगी. मैं चाची के पास गयी और उन्हें पूरा सीन विस्तार से समझाया. और उनसे हम्बल रिक्वेस्ट की, कि सरप्राइज पार्टी को सरप्राइज बना रहने दे. छोटी चाची के खाने के चर्चे हमारे खानदान में दूर दूर तक थे इसलिए खाना उनसे बनवाने का सोचा. हमने सारा खाने का समान उनको ला कर दिया. और नान तो बाहर से ही आने वाले थे वो भी गरमा-गर्म.केक भी आर्डर हो गया, खाने का जुगाड़ भी हो गया, मम्मी -पापा के लिए गिफ्ट्स भी ले लिए, मेहमानों को आमंत्रित भी कर दिया. और उन्हें सचेत भी कर दिया की मम्मी-पापा को कृपया इस पार्टी के बारे में कुछ ना बताये.

एक परेशानी थी वो ये कि पापा की उस दिन सन्डे की छुट्टी थी. हमने बड़ी मन्नतें करके दोनों को बाहर जाने के लिए राजी कर लिया और राजी भी कहा के लिए हुए मंदिर के लिए. हमने कहा अच्छे से ज्यादा से ज्यादा समय लेना मंदिर के दर्शन में. उसके बाद रंग- बिरंगी लड़ियों और बेलून से पूरा घर सजाया. मैं और सिस्टर वहां छोटी चाची के साथ खाना बनाने में उनकी मदद कर रहे थे और यहाँ दोनों भाई अपने दोस्तों के साथ घर सजा रहे थे. उस दिन परिवार की पॉवर का अंदाज़ा हुआ. मिल कर हम कुछ भी कर सकते है. खैर शाम तक मेहमान चुके थे खाना रेडी था केक आने ही वाला था और मम्मी-पापा भी. एक बात बताना तो भूल ही गयी हमने दो बड़ी बड़ी गुलाब के फूलों की माला और रिंग्स का भी अरेंजमेंट किया था. मेरा कैमरा भी रेडी था. मम्मी पापा ने जैसे ही घर में एंटर किया हमने फूल बरसाने शुरू किये. मैंने देखा था सभी मेहमानों और सजावट को देख के मम्मी की आँखों में आंसू झलक आया था. पता नहीं ये मम्मियां भावुक क्यों हो जाती है. पापा के चेहरे पर भी ख़ुशी साफ़ झलक रही थी. इतना ही नहीं मम्मी-पापा को बिल्कुल दूल्हा-दुल्हन की तरह सजाया भी गया था.
सब बहुत खुश थे. मम्मी-पापा ने एक दूसरे को रिंग पहनाई उसके बाद वर मालाएं. उनको ढेर सारे गिफ्ट्स भी मिले. दादा-दादी जी, बड़े चाचा-चाची, छोटे चाचा -चाची, बुआ, आंटी- अंकल सब आये थे . उस दिन एक बात समझ में आई. जो लोग कहते है ना की वो सुकून चाहते है और अलग रहना चाहते है वो सभी गलत है. उस दिन मुझे अपने परिवार और उसके साथ की ख़ुशी का अंदाज़ा हुआ. अलसी ख़ुशी अपनों के साथ में ही है. अब मैं गर्व से कह सकती हूँ " मैं जॉइंट फेमिली में रहती हूँ" मुझे अपने भाई बहन और फेमिली पर बहुत गर्व था मम्मी-पापा को अपने बच्चों पर.

बस कुछ ऐसा ही था वो दिन .....  

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