हम रो रोकर लिखते हैं वो यूं हंसकर पढ़ जाते हैं
हम रो रोकर लिखते हैं वो यूं हंसकर पढ़ जाते हैं .........
जो सपनों को तोड़ चुके हैं वो सपनों में आते है
आंसूं बरसाती आंखों ने टूटे ख्वाबों को ढोया
वादों की यादों में पड़कर जाने मन कितना रोया
हम रो रोकर लिखते हैं वो यूं हंसकर पढ़ जाते हैं .........
wah ! kya baat haie...
ReplyDeletekoi baat nahi kabhi rona bhi chahy
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