Saturday, November 5

छोटी सी जिंदगी

एक छोटा सा शांत कमरा जिसमें एक बेड  था. वह वही लेटे थे कपकपाते हाथ और दूसरों को पहचानने की कोशिश वह  कर रहे थे. जब मुझे उन्होंने देखा तो न चाहते हुए भी रो पड़े थे . मुझे यकीन ही नही था कि जिंदगी इतने कम समय में इतनी बदल सकती है. अभी कुछ ही दिनों पहले तो वह रोज की तरह अपने दोस्तों के साथ मंदिर जाया करते थे और आज केवल दो ही दिनों में उनकी ये हालत .... जब मैं हॉस्पिटल से घर आई तो दादा जी का वो मुरझाया चेहरा बार बार मुझे याद आ रहा था....और वो प्यारी सी ९ साल की लड़की. वो  दादाजी के साथ वाले बेड पर ही लेटी थी. उसे एक भयावक बेईजाज बीमारी थी लाख कोशिश के बावजूद भी मैक्स हॉस्पिटल के सर्वश्रेष्ठ डोक्टर भी कुछ नही कर पा रहे थे .....और वह कुछ ही दिनों की मेहमान थी ......ऊपर वाला भी कभी-कभी बहुत  नाइंसाफी करता है उस बच्ची  ने क्या देखा होगा अपनी इस छोटी सी जिंदगी में ..कुछ भी तो नहीं ...      तब मुझे एहसास हुआ  कि जिंदगी कब किस मोड़ पर ला कर खड़ा कर दे ये किसे पता ?

इसलिए जिंदगी के इस छोटे से सफ़र के हर एक पल को जियो.... खुश रहो.... बिंदास रहो....सबसे प्यार करो और  दूसरों की हेल्प करो, दूसरों के काम आओ और ऊपर वाले का शुक्रियादा करो ....इस प्यारी सी खूबसूरत जिंदगी देने के लिए 
क्योंकि .....

हर घड़ी बदल रही है रूप जिंदगी ...छाव है कहीं ...कहीं  है धूप जिंदगी हर पल यहाँ ......जीभर जियो.... जो है समा कल हो ना हो .....

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