Tuesday, January 4

हमें रोटी देने वाले खुद भूखे मर रहे हैं

वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा देश को गुमराह करते हुए कहते हैं कि विश्व व्यापार संगठन के नियमो के तहत वह भारतीय किसानो को कोई नुकसान नही होने देंगे। लेकिन फिर भी किसानो की आत्महत्या की संख्या दिन प्रतिदिन क्यों बढती जा रही है इसका एक मुख्य कारण है बढता हुआ कर। भारत में किसान चिलचिलाती धूप में जानवरों की तरह काम करते हैं, फिर भी एक माह में प्रति किसान परिवार 2400  रूपये से अधिक नहीं कमा पाता। एक साल में यह राशि मात्र 28 हजार रूपये बैठती है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत के किसान गरीबी रेखा से काफी नीचे जीवनयापन कर रहे हैं। अब अपनी सांस रोक लें। भारत में किसान मर रहे है, जबकि यूरोप में किसानो को 4000 रूपये प्रति हेक्टेयर प्रत्यक्ष अनुदान मिल रहा है। यह राशि भारत के किसानो की औसत आमदनी से लगभग दोगुनी है।

1 comment:

  1. aankda ki itni utkrast jankari kafi mehnat ka parinaam hai......

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